...

3 views

पक्षपात
बेहद उलझन भरा है
किसी शख्स की काबिलियत को उसकी बेज़ार सोच से अलग करना
कितना मुश्किल भरा है हुनर को नियत से अलग करना
कितना मुश्किल भरा है किसी की सोच का अन्दाजा करना
कितना मुश्किल है
कितना मुश्किल है किसी के हुनर को पसंद करके सोच को नज़रअंदाज करना
कितना आसान है बिना कुछ भी जाने मान लेना के तय है मेरा सही होना
कितना सही-गलत है कीसी की एक परत भर देख कर
सम्मान या अपमान करना
कितना आसान है अन्दाज भर पर किसी के हुनर को नज़रअंदाज करना
कितना मुश्किल है किसी के हुनर को पसंद करके अपनी सोच से अलग करना
कितना आसान है शक करना और अपना सही-सही मान लेना
कितना मुश्किल है किसी के हुनर को पसंद करके अपनी सोच से अलग करना
नापसंद किसी सोच को उस खूबी से अलग करना
पक्षपात के विरुद्ध खूद पक्षपाती ना बनना
कितना मुश्किल है किसी की सही सोच की तलाश करना
कितना मुश्किल है किसी की सही ज़मीर की पहचान करना।

@Nigrah Aham
© Meenakshi ___ मीशा✒️