...

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स्नेह भरे भाव
हर दिन तेरी याद पिछ्ले दिन से दोगुनी होती है,
मेरी आँखें हर रोज आंसुओं से सनी होती हैं,
तुझसे मिलूंगा फिर से ये भरोसा है मुझको,
क्योंकि नदी तो सागर में मिलने को ही बनी होती है!

बिन स्याही की कलम सा खाली हूँ तेरे बिन,
जवाब की तलाश में सवाली हूँ तेरे बिन,
शिव और पार्वती जैसा साथ था हमारा,
उन्हीं शिव सा अघोर और कपाली हूँ तेरे बिन!


© Shivaay