संस्कार....
संस्कार
आदमी को इंसान बनाते हैं संस्कार..
मानो या ना मानो,हर बुराई से बचाते हैं संस्कार..
कुछ कमी रह गई जिनमें वही रास्ता भटकते हैं..
वरना संस्कारों तले ही धरती आसमान चलते हैं..
मानो या ना मानो,सत्यपथ पर चलाते हैं संस्कार..
ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास ना होने के, बुरे परिणाम होते हैं..
भय आतंक दहशत जैसे ख़ौफ़, तमाम होते हैं..
मानो या ना मानो अच्छे बुरे में फ़र्क बताते हैं संस्कार..
दोष उनका ही नहीं...
आदमी को इंसान बनाते हैं संस्कार..
मानो या ना मानो,हर बुराई से बचाते हैं संस्कार..
कुछ कमी रह गई जिनमें वही रास्ता भटकते हैं..
वरना संस्कारों तले ही धरती आसमान चलते हैं..
मानो या ना मानो,सत्यपथ पर चलाते हैं संस्कार..
ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास ना होने के, बुरे परिणाम होते हैं..
भय आतंक दहशत जैसे ख़ौफ़, तमाम होते हैं..
मानो या ना मानो अच्छे बुरे में फ़र्क बताते हैं संस्कार..
दोष उनका ही नहीं...