...

13 views

इक तलाश।
कुछ सवाल सा है मन मे
जवाबों की तलाश है,
इक खोया हुआ सा वजूद् है
कुछ बिखरी बिखरी सी सांस है,
इक अँधेरी सी दुनिया है
जहाँ मौजूद सारे जवाब हैं।
भीड़ है वहां के अँधेरे में
ना समझ आने वाला इक शोर है,
धुंधली धुंधली ना जाने कितनी
वहां की दिवारों से लगी तस्वीर् हैं,
उनमें
कुछ हाथ बढ़ते हैं मेरी तरफ
कुछ पाओं उठते हैं मेरी तरफ
कोई कहता है कि आ साथ चल
कोई कहता कि रोशनी लाया हूँ,
कोई कहता है आके धीरे से
तेरे सारे सवालों का जवाब हूँ,

पर नज़रों के सामने चलता हुआ
ये सब कुछ बस इक सराब है ,(धोखा)
मैं अब भी चलते सफर में हूँ
मन अब भी मेरा उदास है,
अँधेरे से इस जहान में
मुझे अब भी इक तलाश है।



© fayza kamal