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प्रियम भारतम
/ #जीवन_जन्मभूमि_का //

जन्मभूमि तुम्हारी भारतवर्ष महान की,
देवभूमि ध्यान - ज्ञान तप और त्याग की;
मात्रभूमि को सम्पूर्ण समर्पित परमार्थ की,
जीवनी मेरी तुम्हारी धरा और धरमार्थ की।

अपनी सविता तेज - मंडल का धर ध्यान,
नित्य स्वयं की संस्कृति का कर सुपाण;
निरंतर कर्म पथ अग्रसर कर नव निर्माण,
नित धर्म पथ अनुसरण करें जनकल्याण।

ध्यान ज्ञान गुण सागर से जीवन कल्याण,
सद्कर्मों से जननी -...