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#दरिया
#दरिया
हम तो दरियाओं के तैराकी थे
तेरी विचित्र निगाहों मे डूब गये
हम तो विषपान के शोंकी थे
कहाँ अमृत की गगरी मे डूब गये?

हम तो निर्देशक अपने मन के थे
तेरे निर्दयी सपनो मे डूब गये
हम विक्राल दृश्य वाले थे
कहां लघु कथाओं मे डूब गये?

हम कठोर वरण भाषी थे
तेरी मधु बातों मे डूब गये
हम रचियेता करुणा के थे
कहाँ मोह सागर मे आ डूब गए?
© Nitish Nagar