...

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उम्र की उदासी
जो कभी आंखों के तारे थे,
आज वही आखें दिखाते हैं,
जिन्हें बोलना था सिखलाया,
वही हमें अब चुप कराते हैं।

जिन्हें चलना था सिखलाया,
वही हमें सलीका सिखाते हैं।
जिन्हें थपकी दे सुलाया था,
वे अपनी नाराजगी दिखाते हैं।

कभी सवाल जो भी तुम्हारे थे,
हमने सबकुछ तो बताया था।
आज मेरे सवालों के हिस्से में,
अपनों का बहाना बस आया।

जो कभी आंखों के तारे थे,
आज वही आखें दिखाते हैं,
जिन्हें बोलना था सिखलाया,
वही हमें अब चुप कराते हैं।
© SÀTYÀM_pd #SPD_