...

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चंचल मन
मन मे ना जाने कितने ख्याल मचलते है,
जमाने से कहने को ना जाने क्यु डरते है।

मन की गहराईयो मे क्या जाने क्या छिपा है,
अचानक से बाहर आ जाने को मचलते है।

मन के भेद को समझना कहाँ मुमकिन है,
वक्त के साथ ही ये भी खुलते जाते है।।