नसीहत मिल गई
बाद मुद्दतों के किताबों में नसीहत मिल गई,
जर्जर पन्नों में तज़ुर्बों की कीमत मिल गई।।
महामारी फ़ैली ऊँची शिक्षा तो क्यूँ बेरोजगारी,
नुस्ख़ों में दवा पायी हरी तबियत मिल गई।।
कि पकड़े है बैसाखी वयस्कों के कारवां,
खेतों,पगडंडियों में बस हकीकत मिल गई।।
कि बैठ जाओ मौन प्रज्ञा की सभाओं में,
पैरों में गगन चहुँ ओर कीरत मिल गई।।
है आखिरी पन्ने में प्रेम झरता इक फूल 'शैली'
वो पल था दुआओं की वसीयत मिल गई।।
"शैली"
जर्जर पन्नों में तज़ुर्बों की कीमत मिल गई।।
महामारी फ़ैली ऊँची शिक्षा तो क्यूँ बेरोजगारी,
नुस्ख़ों में दवा पायी हरी तबियत मिल गई।।
कि पकड़े है बैसाखी वयस्कों के कारवां,
खेतों,पगडंडियों में बस हकीकत मिल गई।।
कि बैठ जाओ मौन प्रज्ञा की सभाओं में,
पैरों में गगन चहुँ ओर कीरत मिल गई।।
है आखिरी पन्ने में प्रेम झरता इक फूल 'शैली'
वो पल था दुआओं की वसीयत मिल गई।।
"शैली"