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हम मिलेंगे तुमसे
कभी गीतों के बोल में,
कभी स्याही के घोल में,
या गुनगुनाओगे जब कभी हमारे तराने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
होगे जब भी हमारी यादों में गुम,
करना महसूस इन हवाओं को तुम;
पाओगे मुझे फूलों की महक में,
हम मिलेंगे कुछ इस अदब में।
यारो की यारी में नजर आऊॅंगा,
मुस्कुराना मैं लबों पर ठहर जाऊंगा,
याद आयेंगे साथ बीते वो पल सुहाने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
© insinuation_pen✒️
कभी स्याही के घोल में,
या गुनगुनाओगे जब कभी हमारे तराने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
होगे जब भी हमारी यादों में गुम,
करना महसूस इन हवाओं को तुम;
पाओगे मुझे फूलों की महक में,
हम मिलेंगे कुछ इस अदब में।
यारो की यारी में नजर आऊॅंगा,
मुस्कुराना मैं लबों पर ठहर जाऊंगा,
याद आयेंगे साथ बीते वो पल सुहाने;
बंद हो जाए अगर हमारी आँखें,
हम मिलेंगे तुमसे इसी बहाने।
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