...

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ऐ मन क्यों तू इतना उदास है.. 😌😌
ऐ मन क्यों तू इतना उदास है,
क्यों इतना निराश है,
भाग्य मेरा क्यों रूठा है मुझसे,
असफलता क्यों मेरे हिस्से में आती है
और, मेरे उद्यम का उपहास उड़ाती है
कोशिश मुझे गिराने की करती है,
और, मुझे हराने के दांव आजमाती है..
सुन ओ मेरे प्यारे मन,
है गिरा सकती असफलता तुझे, पर
फ़िर उठने की ताकत न छीन सकती है,
याद रखना ओ प्यारे मन,
कुछ नया हमेशा तुझे ये विफलता सिखाती है,
कुछ तो है तुझमें, जो ये तेरे उद्यम से डरती है,
और उपहास उसका उड़ाती है..
ऐ मन,
तू कब से सेवक निराशा का बन गया?
इन धूल मात्र कठिनाइयों से डर गया?
तू तो समय का सिकंदर है प्यारे,
और हाँ, हारे वही जो मन से हारे..
न हो उदास, जगा ले विश्वास
तू ही रण में विजयी होगा..
पार कर असफलताओं के कानन,
तू उच्च शिखर पर होगा और
सफलता तेरे कदम चूमेगी।...
© Jyoti Kanaujiya