कहानी या हकीकत
एक रोज वक़्त की लम्हे से मुलाक़ात हुई
कुछ पल ठहर कर वक़्त ने अपने मन की बात की,
लम्हें तुम लम्हें मे कैसे गुजर जाते हो,
वक़्त और लम्हें के रिश्ते बनाते हो,
लम्हा बड़ा समझदार है, हर लम्हे का
रखता हिसाब है!...
कुछ पल ठहर कर वक़्त ने अपने मन की बात की,
लम्हें तुम लम्हें मे कैसे गुजर जाते हो,
वक़्त और लम्हें के रिश्ते बनाते हो,
लम्हा बड़ा समझदार है, हर लम्हे का
रखता हिसाब है!...