DB-ARYMOULIK ALFAZ
न वो अब दिखाई देते हैं न सुनाई देते हैं
कानों में गूंजती हुई वो इक तन्हाई देते हैं
दब गयी किताबों में कितनो की कहानियां
वो ज़माने के शब्द भी न अब सुनाई देते हैं
मिलते तो हैं लोग बस अब फर्जगी...
कानों में गूंजती हुई वो इक तन्हाई देते हैं
दब गयी किताबों में कितनो की कहानियां
वो ज़माने के शब्द भी न अब सुनाई देते हैं
मिलते तो हैं लोग बस अब फर्जगी...