बचपन
रंगो की होली में
आओ शामिल होते हैं
बच्चो की टोली में ,,
ना फिक्र जमाने की
ना कोशिश किसी को आजमाने की
खुल कर मुस्कुराते हैं
आओ ना कागज़ की नाव बनाते हैं
वो बारिश की बौछारो में
एक बार फिर से नहाते हैं
जहा ना जॉब की चिंता थी
ना सूरत कैसी दिखती थी
इस बात की
नोटो की जरूरत नही
चंद सिक्को में खनकती मुस्कान थी ,
आ लौट चले एक बार फिर से वही
जहा मां के आंचल में बसता संसार था
...
आओ शामिल होते हैं
बच्चो की टोली में ,,
ना फिक्र जमाने की
ना कोशिश किसी को आजमाने की
खुल कर मुस्कुराते हैं
आओ ना कागज़ की नाव बनाते हैं
वो बारिश की बौछारो में
एक बार फिर से नहाते हैं
जहा ना जॉब की चिंता थी
ना सूरत कैसी दिखती थी
इस बात की
नोटो की जरूरत नही
चंद सिक्को में खनकती मुस्कान थी ,
आ लौट चले एक बार फिर से वही
जहा मां के आंचल में बसता संसार था
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