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गलतियाँ अपनी मान लेना...हो सके तो अपने रिश्ते को बचा लेना...
गलतियाँ तो होती हैं सबसे कभी न कभी,
माफी मांग कर सुलझा लेना जल्दी से जल्दी।

सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए,
तो अच्छा है कि उसे दिल से माफ कर दिया जाए।

ऐसा कोई नहीं जिससे हुआ ना हो कभी कोई पाप,
तो क्यों ना स्वीकार कर गलतियाँ कर ले पश्चाताप।

अपनी भूलों को जो करते हैं मन से स्वीकार,
माफी के हकदार बनते हैं वो, करते हैं सब उनको अंगीकार।

मन, कर्म, वचन याँ वाणी से दुखाया है अगर किसी का दिल,
हाथ जोड़कर माफी मांग लो, उनसे गले लो मिल।

जब अंतर्मन में उत्पन्न होगी सच्ची आत्मग्लानि,
माफ करके स्वागत करेंगे सब, भूल जाएंगे हर हानि।

जब तक दिल पर रहता है गुनाहों का बोझ,
खुशी रहती नहीं मन में, चेहरे का खो जाता है ओज।

मन विचलित रहता है व्यर्थ के विचारों से,
शर्मसार सा रहता है दिल अपने किए कर्मों से।

माफी मांग कर अपने मन का बोझ कम करो,
गलती स्वीकारना कोई शर्म की बात नहीं, बस अपनी सोच को बड़ा करो।

माफी मांगने से रोकता है जो अहम् उसे विदा करो,
माफी के दो शब्द बोल कर रिश्तों के संवरने की दुआ करो।

करते हैं हम रोज खताएं फिर भी वो बक्शनहार करता है हमें माफ,
उसी तरह भूल कर अपनों की खताएं कर दो उन्हें दिल से माफ।।

© kittu✍️👻