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टूटे चावल, और टपकती पानी की बूँदे
कुछ टूटे, और बिखरे दाने
चावल के
टप -टप करती पानी की बूंदो
का शोरगुल
ठंडी ठंडी हवा का झोका
खुले बालों के किनारे मेरी लटें
उठा रही इसका मौका
चंद क़दमों की दूरी
बैठा मुंडेर पर एक परिंदा
पहले देखे मुझे
फिर, देखे इधर उधर
छुप गयी मैं
दीवारों की ओट से
उसकी आँखे ढूंढ रही मुझे, ना जाने किधर
उड़ गया वो ना जाने कहाँ
धीरे, धीरे जाऊ मैं
घुंगरू से आजाद कर, अपने पैरों से
बावरी हो गयी मै
बेचैन सी हो गयी
सनसनाती हवाएं फिर चली
सोच -समझ कर परिंदे ने कोई चाल चली
बिखरे चावल, और टपकता पानी
उसके जान मैं जान आई
देखकर यह, मै मुस्कराई
पँख फैलाकर, वो शुक्रीया कह गया
© All Rights Reserved
चावल के
टप -टप करती पानी की बूंदो
का शोरगुल
ठंडी ठंडी हवा का झोका
खुले बालों के किनारे मेरी लटें
उठा रही इसका मौका
चंद क़दमों की दूरी
बैठा मुंडेर पर एक परिंदा
पहले देखे मुझे
फिर, देखे इधर उधर
छुप गयी मैं
दीवारों की ओट से
उसकी आँखे ढूंढ रही मुझे, ना जाने किधर
उड़ गया वो ना जाने कहाँ
धीरे, धीरे जाऊ मैं
घुंगरू से आजाद कर, अपने पैरों से
बावरी हो गयी मै
बेचैन सी हो गयी
सनसनाती हवाएं फिर चली
सोच -समझ कर परिंदे ने कोई चाल चली
बिखरे चावल, और टपकता पानी
उसके जान मैं जान आई
देखकर यह, मै मुस्कराई
पँख फैलाकर, वो शुक्रीया कह गया
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