अंतिम समय
कुछ तो तुमसे रिश्ता है
यूँ हीं नहीं मेरा दिल तरसता है
यूँ तो बहुत लोग है मुझे कहने के लिए
बस मुझे तुम्हें ही सब कहने का दिल करता है
कितना भी कुछ पुराना हो
तुमको ही सब बताना हो
कुछ आज नया हुआ हो
तुम तक बस पहुंचाना हो
कभी कभी बस खामोश हो जाती
तेरी परेशानी समझ नहीं पाती
दिल जानता तो है तुम मशरूफ़ बहुत
पर ये...
यूँ हीं नहीं मेरा दिल तरसता है
यूँ तो बहुत लोग है मुझे कहने के लिए
बस मुझे तुम्हें ही सब कहने का दिल करता है
कितना भी कुछ पुराना हो
तुमको ही सब बताना हो
कुछ आज नया हुआ हो
तुम तक बस पहुंचाना हो
कभी कभी बस खामोश हो जाती
तेरी परेशानी समझ नहीं पाती
दिल जानता तो है तुम मशरूफ़ बहुत
पर ये...