एक स्त्री का सफर।
लड़की से स्त्री बन गई और,
स्त्री से मां बन गई और,
देखते ही देखते घर के कामों में सिमट गई।
जो पूरे साल पढ़ती थी एक परीक्षा के लिए,
अब देती है अनजाने में रोज परीक्षा।
कहने को तो सब कुछ उसका है,
फिर भी उसे सब कुछ अनजान सा लगता...
स्त्री से मां बन गई और,
देखते ही देखते घर के कामों में सिमट गई।
जो पूरे साल पढ़ती थी एक परीक्षा के लिए,
अब देती है अनजाने में रोज परीक्षा।
कहने को तो सब कुछ उसका है,
फिर भी उसे सब कुछ अनजान सा लगता...