...

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रात सोती क्यों नहीं
रात सोती क्यों नहीं
रात जागती भी तो नहीं

सब यहां मुसाफिर हैं इश्क के
सब यहां काफिर है अपने महबूब के

कोई सो रहे ख्वाबों में तो
कोई जागे आंखों में ख्वाब लिए

रात बोलती है कानों मैं उनकी सर्द सांसों की कहानी
दिल की धड़कनों को तेज करती उनकी अंदाज नूरानी

खींचती अपनी तरफ उनके मस्त आंखों की कहानी
बसा कर अपने दिल में मेरी ये इश्क की पैगाम उनके मुंह जुबानी

तलास्ती नजरों को मिलती है सकून चेहरा उनका देख के
के अजीब सा ठहराव है जब थाम लेती है उनकी बाहें कुछ यूं हमें देख के।
© vexinkheart