ग़ज़ल
१२१२-११२२-१२१२-२२/११२
कहा था उसने कि रिश्ते सभी निभा लेगा
वो ले चुका है मेरी जान और क्या लेगा
डूबा दिया है उसी ने मुझे किनारे पर
था जिस प मुझको भरोसा कि वो बचा लेगा
वो आज तक तो पलट कर...
कहा था उसने कि रिश्ते सभी निभा लेगा
वो ले चुका है मेरी जान और क्या लेगा
डूबा दिया है उसी ने मुझे किनारे पर
था जिस प मुझको भरोसा कि वो बचा लेगा
वो आज तक तो पलट कर...