उम्र भी थकती है
उम्र की थकान आंखो के गढ़हों से झांकती है
लम्बी राहे मंज़िल की दूरी से डराती है
भटकते रहते है यहाँ वहां किस्मत आज़माते है
सारे कर्म लौट आईना दिखाते है
© कृतिका जोशी
लम्बी राहे मंज़िल की दूरी से डराती है
भटकते रहते है यहाँ वहां किस्मत आज़माते है
सारे कर्म लौट आईना दिखाते है
© कृतिका जोशी