...

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जब तुम साथ रहते हो...
जब तुम साथ रहते हो
तब मेरा शून्य व्यक्तित्व भी
अपनी "महत्ता" ग्रहण
कर लेता है
वातावरण का खुशनुमा होना भी
एक तरह से सार्थक
होने लगता है....
तुम्हारा होना
महज़ होना नहीं है "इश्क़"
मेरी संपूर्ण सृष्टि
तुम्हारे आलिंगन से संलिप्त
हो जाती है.....
एक तुम्हारे होने से....!!

© प्राची मिश्रा "जिज्ञासा"

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