कहे देती हूं ’हां’ की... तुम बड़े वो हो
खट्टी मीठी नोक झोंक
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देखो जी,
सुबह को तो तुम ऑफिस चले जाते हो
और मुझे अपने खयालों में छोड़ जाते हो
कह देती हूं ’हां’ की...
तुम बड़े वो हो,
हवा के झोको संग क्यूं अपनी यादों को भिजवाते हो।
देखो जी,
ये जो तुम मंद मंद मुस्काते हो
मेरे गालों पे गिरी जुल्फों को हटाते हो
कहे देती हूं ’हां’ की....
तुम बड़े वो हो;
करीब आने के लिए कोई न कोई बहाना बनाते...
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देखो जी,
सुबह को तो तुम ऑफिस चले जाते हो
और मुझे अपने खयालों में छोड़ जाते हो
कह देती हूं ’हां’ की...
तुम बड़े वो हो,
हवा के झोको संग क्यूं अपनी यादों को भिजवाते हो।
देखो जी,
ये जो तुम मंद मंद मुस्काते हो
मेरे गालों पे गिरी जुल्फों को हटाते हो
कहे देती हूं ’हां’ की....
तुम बड़े वो हो;
करीब आने के लिए कोई न कोई बहाना बनाते...