इंताज़र
प्रेम का इंताज़र करना क्या गुनाह हैं गिरधर
खयाल में क्या तुमे रखना गुनाह हैं गिरधर
राधा के प्रेम का विस्तार
उनका तुम्हारे रंग में रंगने का आधार
बांसुरी की धुन पर दौड़े चले आने वाला प्यार
क्या गुनाह हैं ...
खयाल में क्या तुमे रखना गुनाह हैं गिरधर
राधा के प्रेम का विस्तार
उनका तुम्हारे रंग में रंगने का आधार
बांसुरी की धुन पर दौड़े चले आने वाला प्यार
क्या गुनाह हैं ...