सुकून
जिस अंधेरे से डरते थे हम कभी
सुकून अब मिलती सायद वही
इस असर से टूटे है हम कही।
खोज भी नहीं पा रही वक्त सभी।
वो नजारा भी नजर से थी।।
बाते तेरी गलियों में मेरी।।
मैं हू...
सुकून अब मिलती सायद वही
इस असर से टूटे है हम कही।
खोज भी नहीं पा रही वक्त सभी।
वो नजारा भी नजर से थी।।
बाते तेरी गलियों में मेरी।।
मैं हू...