एक श्याम....
ये रास्ते चलते चलते
थक सी गई,
मंजिलें दूर खड़ी
मैं राहें भटक सी गई!
हक़िक एक ख़्वाब हैं लगे,
मैं सपनों मे डूबती चली।
परछाई जो साथी मेरी,
रेत मे वो भागने लगी।।
एक श्याम हैं...
थक सी गई,
मंजिलें दूर खड़ी
मैं राहें भटक सी गई!
हक़िक एक ख़्वाब हैं लगे,
मैं सपनों मे डूबती चली।
परछाई जो साथी मेरी,
रेत मे वो भागने लगी।।
एक श्याम हैं...