...

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नई नवेली💃
🤗♥️🌸
आयु का वो पड़ाव अनोखा,
वो भी देखो ज्यूं हुई पहेली,
बतियाती व खिलखिलाती
घेरें उसको सब सखी सहेली,
परंपरा-रीत, तन मन में धारे,
साड़ी में उतरी वो नई नवेली,
सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित
आई देखो इक नार अलबेली,
लहराते केश, मुस्कान विशेष,
चाल अनुपम अद्भुत अठखेली,
हर दृष्टि ताके उसको हतप्रभ,
और वो भी,जिसकी हुई हथेली,
वो सजीला बांका साहब अकेला,
वो हो गई उसकी, न रही अकेली,
प्रसन्न हैं वृक्ष, बूटे और वनस्पतियां,
सुमन भी—गेंदा, गुलाब और चमेली,
जगमग जगमग क्यों न होगी, बोलो,
आई है लक्ष्मी,विभोर है पुरानी हवेली!
♥️🤗🌸
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal