...

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वेदना
बंधन ये प्रेम का है बड़ा अटूट सखी
जादू इसका ना छूटे सखी

प्रीत की रीत मे मै सब हार गई सखी
होके पराई,
उसकी प्रीत से भी हो गई मै अब पराई सखी

होके भी उसकी,
उसकी हो ना सकूंगी कभी
बंधन मे मुझे जिससे बांध दिया गया सखी

इन रित रिवाजो से मै जीत ना सकी सखी
संस्कारो के आगे झुक डोली मे बैठ सखी

बिसर प्रीत अपनी, उजाड़ कर दुनिया उसकी,
बन दुल्हन निभा रही, पत्नी धर्म मै सखी