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अतुकान्त कविता
दिखाई झलक क्यों गया तू छुप
लिखकर प्रेम का अनंत रूप
प्रेम को लिखना समझना
कोई सीखे उस से
प्रेम है मीरा प्रेम है राधा
प्रेम की भाषा प्रेम की गाथा
सीखे उस से
नारी मन का प्रेम
उसके मन के भाव
जो जाने दिल से
कोई सीखे उस से
ना तुकान्त ,बस लिखना जाने अतुकान्त
बस भाव ही देखे ,प्रेम को परखे …
जाने से उसके लेखनी है उदास
कलम को है किसी की आस
आने से उसके लिखेगी कलम
अपने अन्तर्मन की बात
जब मिलेगा तेरा साथ
स्वीकार करो इस अतुकान्त कविता को
समझो बस इस के भाव को
© गुलमोहर
लिखकर प्रेम का अनंत रूप
प्रेम को लिखना समझना
कोई सीखे उस से
प्रेम है मीरा प्रेम है राधा
प्रेम की भाषा प्रेम की गाथा
सीखे उस से
नारी मन का प्रेम
उसके मन के भाव
जो जाने दिल से
कोई सीखे उस से
ना तुकान्त ,बस लिखना जाने अतुकान्त
बस भाव ही देखे ,प्रेम को परखे …
जाने से उसके लेखनी है उदास
कलम को है किसी की आस
आने से उसके लिखेगी कलम
अपने अन्तर्मन की बात
जब मिलेगा तेरा साथ
स्वीकार करो इस अतुकान्त कविता को
समझो बस इस के भाव को
© गुलमोहर
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