...

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सबको अपना ग़म प्यारा..
सबको अपना ग़म प्यारा...


साँझ ढलने लगी,
लालिमा सिमटने लगी,
सवारी सूरज की जाने लगी,
ग़म उसको भी है,
जाने का,
पर आह्लाद भी,
सुबह आने का,
बिछड़न-मिलन का,
अद्भुत नज़ारा,
सबको अपना ग़म प्यारा..
हमको भी प्यारा..

अँधेरी काली रात की,
साँझ जो आहट थी,
तारों की सुगबुगाहट थी,
क्या चाँद आज नही आएगा?
शायद अमावस थी,
उजाले की प्यास में,
पूर्णमासी की आस में,
तारा वृन्द सारा,
सबको अपना ग़म प्यारा,
हमको भी प्यारा..
सबको अपना ग़म प्यारा,
हमको भी प्यारा,
©शैलेन्द्र राजपूत
23.07.2020
© Shailendra Rajpoot