कागज
कभी बारिश में कश्ती बन इन बच्चों को हर्षाता हूँ
कभी किसी के आँसुओ से गीला खुद को पाता हूँ
कभी किसी नन्हे स्पर्श की कहानी सुन हर्षित हो जाता हूँ
तो कभी किसी की शहादत पर दुःख भी मनाता हूँ
कागज हूँ कहानियां सुनाता हूँ
लोगो को उनकी मंजिल तक पहूँचाता हूँ
डॉक्टर इंजीनियर लॉयर बनाता हूँ
कवी की कविता को आकार देते देते ...
कभी किसी के आँसुओ से गीला खुद को पाता हूँ
कभी किसी नन्हे स्पर्श की कहानी सुन हर्षित हो जाता हूँ
तो कभी किसी की शहादत पर दुःख भी मनाता हूँ
कागज हूँ कहानियां सुनाता हूँ
लोगो को उनकी मंजिल तक पहूँचाता हूँ
डॉक्टर इंजीनियर लॉयर बनाता हूँ
कवी की कविता को आकार देते देते ...