यह आँखे
बरस जाती है अक्सर यह
कभी ग़म मेें तो कभी सुकून मेें!!
तरस जाती है अक्सर मिलने को
'प्रेम' से हर दर्द ओ ग़म मेें!!
हार देखती है.. कभी जीत देखती
इंसानियत का ऐसा असर देखती!!
छू कर...
कभी ग़म मेें तो कभी सुकून मेें!!
तरस जाती है अक्सर मिलने को
'प्रेम' से हर दर्द ओ ग़म मेें!!
हार देखती है.. कभी जीत देखती
इंसानियत का ऐसा असर देखती!!
छू कर...