"इंसान"
कुछ रक्त पड़ा है सीने में,
ऐ मनुष्य तु दास ना बन,
अपनों तक को मारने वाले यहां,
कभी किसी का खास ना बन।।
खोल आँखे अपनी जल्दी,
झट पट अंधेरा छा जायेगा,
दिल जो सुने हमेशा,
भविष्य में निसंदेह पछतायेगा।।
क्या दिया किसने तुझे,
सबने अपना है कर्म किया,
किसी ने मोहरों से कीमत लगायी,
किसी ने अपना पुरा धर्म किया।।
कोई बड़ा नहीं जग में ,
ये...
ऐ मनुष्य तु दास ना बन,
अपनों तक को मारने वाले यहां,
कभी किसी का खास ना बन।।
खोल आँखे अपनी जल्दी,
झट पट अंधेरा छा जायेगा,
दिल जो सुने हमेशा,
भविष्य में निसंदेह पछतायेगा।।
क्या दिया किसने तुझे,
सबने अपना है कर्म किया,
किसी ने मोहरों से कीमत लगायी,
किसी ने अपना पुरा धर्म किया।।
कोई बड़ा नहीं जग में ,
ये...