...

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"इंसान"
कुछ रक्त पड़ा है सीने में,
ऐ मनुष्य तु दास ना बन,
अपनों तक को मारने वाले यहां,
कभी किसी का खास ना बन।।

खोल आँखे अपनी जल्दी,
झट पट अंधेरा छा जायेगा,
दिल जो सुने हमेशा,
भविष्य में निसंदेह पछतायेगा।।

क्या दिया किसने तुझे,
सबने अपना है कर्म किया,
किसी ने मोहरों से कीमत लगायी,
किसी ने अपना पुरा धर्म किया।।

कोई बड़ा नहीं जग में ,
ये तो तु भी जानता है,
हठ धर्मी नहीं किसी के,
ये तो तु भी मानता है।।

शिश उठा तु बढ़ आगे,
वेग से कोई बच ना पायेगा,
पत्थर भी तेरी ठोकर से,
तेरा रास्ता बनाएगा।।

चुप रहना तु छोड़ अब,
मौन समझे वो अपना कहाँ,
पैसो के बाज़ार में देख,
तेरा जल रहा सपना कहां।।

कर्म कर बस कर्म कर,
तानो को सुन ना शर्म कर,
तेरा अभिमान अटूट रहे,
कुछ ऐसा हथधर्म कर।।

अपने कंधों पर कर यकीन,
सफलता का परचम तु लहराएगा,
राहों के कांटो का मालिक,
नज़रें तुझसे ना मिला पायेगा।।
नजरें तुझसे ना मिला पायेगा।।

#इंसान#इंसानियत

© RamKumarSingh(राम्या)