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शहर समंदर
किसी रोज जब थक जाऊंगी
इन पहाड़ों और
तुम्हारी यादों से
तो कोई शहर चुनूंगी
समंदर वाला
समंदर किनारे बसे शहर
जिंदगी दुबारा से शुरू करने के लिए
मशहूर हैं काफी
तो मैं भी इन्हे
एक बार
अजमाऊंगी
तुम्हारी यादों को
लहरों के आने से ठीक पहले
समंदर किनारे
बिछाऊंगी
और फिर
हो जाऊंगी
पुरसुकून सदा के लिए
तुम्हारी बातें
वो झूठे वादे
सिकवे गिले
और
किए सारे इंतजार
तुम्हारे लिए
अपने अंदर
पनपते प्यार को
बहा दूंगी समंदर में
एक रोज
© life🧬
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