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....उन्मुक्त जीवन
*.....उन्मुक्त जीवन......

जिवन के हर पडाव पार करता हूं
महफिल यारों की सजाता हूँ
मैं आसमान को छूने की कोशिश करता हु..

मैं अल्फाजो को समझता हूँ
मैं कलम से जवाब देता हूं
घायल दिल का हाल,
कविता मे बया करता हूँ.

मैं आजाद हूँ,
यही महसूस करता हूं
शब्दों को ढालता हूं कविता के सुंदर वन में
मै जिवन में हर रंग रंगने की कोशिश करता हूं

शिकायत नहीं,
शुक्र अदा करता हू ,
खुबसूरत जीवन कै लिए ख़ुदा से सजदा करता हू
मैं उन्मुक्त जीवन जीता हूं
यारों की महफिल सजाता हूं
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नौशाबा जिलानी सुरिया
© naush..