"खोया हुआ पल - बचपन”
लगता है चंचल पर है बड़ा मासूम सा ये,
उड़ने की चाह है पर है क़ैद परिंदा सा ये।
होता छुपा हर उम्र में ये,ना होती इसकी उम्र कोई ,
है अजर अमर सा ये रहता सबके दिलो में ये।
बस दिल को दिलासा देते रहते हम,
कहते हो गए है बड़े अब हम।
वो अठखेलियाँ करना हमारा,
वो तितलियों के पीछे भागना हमारा ।
कर जाए कोई ग़लती हम बचपन में,
तो मासूम सा बन जाना हमारा।
होता बड़ा भोला सा ये बचपन,
करता कई नादानियाँ ये बचपन।
...