Daastan-e-ishq
यूँ तो इशारों इशारों में समझा दिया
उसके होठों की मुस्कान ने बतला दिया
बात अब साफ़ थी उनसे इक़रार की
प्यार का पहला ख़त और इज़हार की
पास पहुँचे जो उनके दिल धड़कने लगा
वो वक़्त वहाँ ही ठहरने लगा
हमने पूछा था डरते हुए आपसे
नंबर मिलेगा क्या वाट्स-ऐप से
उनके होंठो पे आई एक प्यारी तबस्सुम
रातों में करने लगे हम तकल्लुम
क्या ख़ूबसूरत समा बन गया था
तू मेरा सारा जहाँ बन गया ...