क्या मैं चढ़ाऊं?
मैं खड़ी तेरे द्वार प्रभु,क्या तुझे चढ़ाऊं
कहे मन कुछ और दिल कहे मैं बताऊं
लेकर आई जल,दूध, फूल और फल
लोग कहे क्यों चढ़ाए झूठा,सब बदल
मैं पड़ी सोच में ले आई शुद्ध और ताजा अभी
कौन समझाए...
कहे मन कुछ और दिल कहे मैं बताऊं
लेकर आई जल,दूध, फूल और फल
लोग कहे क्यों चढ़ाए झूठा,सब बदल
मैं पड़ी सोच में ले आई शुद्ध और ताजा अभी
कौन समझाए...