आओ कुछ फूल बिछा दें:-
बच्चिओं,औरतों के लिए कांटे बिछाने की रूढ़ियों को तो परम्परा कहा ही गया है।
आओ कुछ फूल बिछा दें पैरों को आराम देने के लिए।
रिश्ते नातों के नाम पे बहुत डराया ,धमकाया गया सदियों तक।
आओ कुछ तो बिना डरे करना उन्हें सीखा दें।
नौ माह असीम पीड़ा सह कर
घर और बाहर सब कुछ जीत लेने की जी तोड़ मेहनत...
आओ कुछ फूल बिछा दें पैरों को आराम देने के लिए।
रिश्ते नातों के नाम पे बहुत डराया ,धमकाया गया सदियों तक।
आओ कुछ तो बिना डरे करना उन्हें सीखा दें।
नौ माह असीम पीड़ा सह कर
घर और बाहर सब कुछ जीत लेने की जी तोड़ मेहनत...