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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी

जी लो यारों
क्या पता कब बुझ जाए ये लौ
घट रही हैं ये पल पल
आ चल जी ले इसको यारों

सपनें ताना बुन रहें
ख्वाहिशें मचल रही हैं
उमंगें जवां हो चली
चाहतें पेंगें मार रही
आहट हो चली अब तो
मुलाकात सोच रही हैं
मिल जाये सब वो
पूरी तमन्ना हो चली हैं

उड़ान भरने की बारी आई
उदासी जुदा हो चली
वक़्त की शाख पर
केनवास खुशी का लगाया
उकेर दिया कूची ने
सतरंगी सपनों का संसार
जीना सीख गए अब हम
देख किताब ज़िन्दगी की
जिल्द नया बिखरें पन्नो में

आजा कवर नया लगा लें
मुस्कान को लेबल बना लें
नाम रखें नया फिर से
समां जाये खुद दुनिया में
आ जाओ यारों
एक नई छवि बना ले
आ कुछ नया कर ले

©रीना