...

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पराया है वो
बादल जैसा है वो बहती नदी सी हूं मैं
जितना वो बरसता है उतनी ही मैं बहती जाती हूं।

पर्वतों जैसा है वो झरने जैसी हूं मैं
जितना ऊंचा है वो उतनी गहरी हूं मैं।

मौसम जैसा है वो हवा जैसी हूं मैं
जितनी बार वो बदलता है उतनी ही तेज बहती हूं मैं।

कुछ ऐसा ही है उसका और मेरा रिश्ता
जितनी ही उसकी हूं मैं उतना ही पराया है वो।।
© @ayushi