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जीवन की परीक्षा
मेरें दोस्त, जिधर भी देखों इधर हो या उधर,सब ओर ही दिखते ये तारों का जाल या,बना नया मायाजाल, कंही देखो तो केबल की तार,कंही देखों तो फोनलाइन की तार ओर कंही तो देखो तो बिजली की तार, ये तार है या तारो का मायाजाल, जंहा देखो तो बस तार ही तार, अब देखो तो ऐसा लगता कब मिलेगा किसी को उसके प्रेमी को उसके प्रेम का तार,क्योंकि सब ओर तो फेला है,ये तारो का मायाजाल,वो दिन भी क्या दिन थे, छत पर जाते तो खुला माहौल, हवा की ताजगी,ओर अब देखो तो सब ओर से लटके दिखते है,तो क्या सिर्फ तार ही तार। जंहा भी देखो तो बस तारो का जाल या हो मायाजाल।