...

6 views

जलियांवाला बाग हत्याकांड
अमृतसर की अमर धरा के अमर सपूतों तुम्हें सलाम।
धन्य है जीवन तुम सबका, जो आया निज देश के काम।।
बाग जला जलियांवाला तड़तड़ का यकायक शोर हुआ।
इंसानों से भरा वह चमन, पलभर में खून का ढेर हुआ।
खोए थे वो चिंता में भारत माँ की बेड़ियों पर।
कैसे हो आजाद देश फिरंगियों के चंगुल फंसकर।
धूर्त फिरंगी डायर ने बर्बरता दिखलाई थी।
बेबस निहत्थे लाचारों पर गोलियां चलवाईं। थी।
देश के बेटे बेटी सब खूं से हो लथपथ लेट गए।
कुछ पड़े विलखते, तड़पते रहे, कुछ धोख लगाए बैठ रहे।
मौत की नींद सोने लगे, कुछ घायल सिंह सा दहाड़ उठे।
वंदे मातरम, जय भारत माँ, कह के कुछ चीत्कार उठे।
नवजात शिशु कुछ पड़े हुए, अम्मा अम्मा कह कराह रहे।
माँ बाप सामने मरते बच्चे को देख के दर्द से कराह रहे।।
नवबधु कई विधवाएँ हुई, सिंदूर की लाली मिटा गए।
निज लहू में धरा को लाल किये लालों की लाली लगा गए।
बलिदान रंग लाया उनका वो धूर्त फिरंगी भाग गए।
पर भारत माँ के निज आँचल में दे रक्त के रंजित दाग गए।
है देश तुम्हारा ऋणी सदा, तुम अजर अमर अविनाश रहो।
पाताल, धरा या स्वर्ग, नर्क चाहें अविचल आकाश रहो।
पर भारत का इतिहास कभी जब भी दिखाया जाएगा।
हे शूरवीर भारत माँ के सदा यशगान सुनाया जाएगा।
"पी.के." तुमसे गौरव की अनुभूति व्याप्त दसों दिशाओं में।
तुम व्याप्त हो भारत की रज में कण कण और हवाओं में।।

कोटि कोटि नमन
😢😢🌹🌹
प्रशान्त कुमार"पी.के."
हरदोई(उत्तरप्रदेश)

© sharadpandit