शीर्षक - इस वक्त की मेरी यही कहानी।
शीर्षक - इस वक़्त की मेरी यही कहानी।
नैनों की बहती अश्कों से,
बह रही अरमानों की धारा।
जीवन गाथा बेड़ियों में,
मन ही मन मन हार रहा बेचारा।
बदन पे बे-निशां सी चोटें,
हृदय पे घाव का भार सारा।
धुंध भरी ये दुनिया सारी,
क़िस्मत...
नैनों की बहती अश्कों से,
बह रही अरमानों की धारा।
जीवन गाथा बेड़ियों में,
मन ही मन मन हार रहा बेचारा।
बदन पे बे-निशां सी चोटें,
हृदय पे घाव का भार सारा।
धुंध भरी ये दुनिया सारी,
क़िस्मत...