...

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बचपन की यादें...
आज फिर याद आयी उन दिनों की,
जब हम थे अपने बचपन में,
जाने कितनी की शरारतें ,
बन गई बस अब वो सिर्फ यादें ,
अब न आएंगे वो दिन वापस ,
क्योंकि जिन्दगी बन चुकी है नीरस ,
अब न रहा कुछ नया और न ही कुछ खास ,
बस आज दिल फिर है खिन्न और उदास,
अब तो जिन्दगी में बस भागम भाग है,
बल्कि यादों को याद करना भी हराम है ,
चलो मुझे याद आ गया एक काम है ,
क्योंकि जीना तो इसी का नाम है।।