...

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साड़ी(एक वस्त्र)
लिवाज़ में ऐसी शरीर ढकाऊ ओढ़े जो चुनरी बन जाऊं
नारी का अभिमान हु मै हां हां एक साड़ी हु मैं

सोलह श्रृंगार के सजती नारी न पहने तो अधूरी लगती नारी
नारी का हर श्रृंगार हु मै , हा हा एक साड़ी हु मैं

बखूबी हर किरदार निभाऊ जो भी पहने मैं शोभा बढ़ाऊ
बहन...