यकीन!!
सोचती थी तुम रोशनी गुमसुम सी है
खुद में झांक कर तो देखो
सितारा भी मिल जायेगा !
सोचा ना था तुमने दुआएं पूरी होती भी हैं
इजाजत दे कर तो देखो
रास्ता भी खुल जाएगा!
मन ये तुम्हारा शांत समंदर सा रेहता हैं
मेरी आवाज़ सुनो ये केहता हैं
क्या याद नही उसे की तुम्ही ने आज तक उसे संवारा हैं
क्या भूल गई हो वो बचपन का खिलखिलाकर हंसना
खुद में ही गुम हो जाना
क्यों फिर आज दिल दहलाने के रास्ते ढूंढती रहती...
खुद में झांक कर तो देखो
सितारा भी मिल जायेगा !
सोचा ना था तुमने दुआएं पूरी होती भी हैं
इजाजत दे कर तो देखो
रास्ता भी खुल जाएगा!
मन ये तुम्हारा शांत समंदर सा रेहता हैं
मेरी आवाज़ सुनो ये केहता हैं
क्या याद नही उसे की तुम्ही ने आज तक उसे संवारा हैं
क्या भूल गई हो वो बचपन का खिलखिलाकर हंसना
खुद में ही गुम हो जाना
क्यों फिर आज दिल दहलाने के रास्ते ढूंढती रहती...