...

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Tanhai...
मैं कब से कितना हूँ तन्हा तुझे पता भी नहीं

तिरा तो कोई ख़ुदा है मिरा ख़ुदा भी नहीं



कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ

कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं



कभी तो बात की उसने, कभी रहा ख़ामोश

कभी तो हँसके मिला और कभी मिला भी नहीं



कभी जो तल्ख़-कलामी थी वो भी ख़त्म हुई

कभी गिला था हमें उनसे अब गिला भी नहीं



वो चीख़ उभरी, बड़ी देर गूँजी, डूब गई

हर एक सुनता था लेकिन कोई हिला भी नहीं