शिकस्ता दिल
याद करते हैं उन्हें फ़क़त फुरसत के लम्हों में,
अब हमें भी इतनी फुरसत थोड़ी है,
टूट गया एक नशेमन तो क्या हुआ,
अब हमें किसी नशेमन की हसरत थोड़ी है,
एक वक्त था जब उनके बगैर तन्हा था मैं अंजुमन में,
अब हमें भी राजदानों की ज़रूरत थोड़ी है।
© अभिनव
अब हमें भी इतनी फुरसत थोड़ी है,
टूट गया एक नशेमन तो क्या हुआ,
अब हमें किसी नशेमन की हसरत थोड़ी है,
एक वक्त था जब उनके बगैर तन्हा था मैं अंजुमन में,
अब हमें भी राजदानों की ज़रूरत थोड़ी है।
© अभिनव