मर्दानी की तलवार बन ❤️
अरे कब तक आश लगाओगी
इन बिके हुए अखबारों से
कब तक गुहार लगाओगी
इन मानवता के हत्यारों से
तू छोड़ उम्मीद अब सब से
तू खुद जलता हुआ अंगार बन
तू ज्वाला बन तू ज्वार बन
चूड़ियों के बीच नाचती हुई अंगार बन
मां काली की तू वार बन
मर्दानी की तलवार बन
तू कोमल नहीं चिंगार बन
...
इन बिके हुए अखबारों से
कब तक गुहार लगाओगी
इन मानवता के हत्यारों से
तू छोड़ उम्मीद अब सब से
तू खुद जलता हुआ अंगार बन
तू ज्वाला बन तू ज्वार बन
चूड़ियों के बीच नाचती हुई अंगार बन
मां काली की तू वार बन
मर्दानी की तलवार बन
तू कोमल नहीं चिंगार बन
...